1.स्वास्थ्य की स्थिति: यदि आपकी गर्भावस्था सामान्य है और कोई जटिलता नहीं है, तो आप उपवास कर सकती हैं। लेकिन, यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो उपवास से बचना बेहतर हो सकता है।
2.डॉक्टर की सलाह: उपवास करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। वे आपकी स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए सही सलाह देंगे1.
3.पोषण: उपवास के दौरान भी यह सुनिश्चित करें कि आपको पर्याप्त पोषण मिल रहा है। फल, दूध, और अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
4.हाइड्रेशन: उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर गर्मियों में.
5.संकेतों पर ध्यान दें: यदि आपको कमजोरी, चक्कर आना, या किसी अन्य प्रकार की असुविधा महसूस हो, तो तुरंत उपवास तोड़ दें और डॉक्टर से संपर्क करें.
ध्यान रखें कि हर गर्भावस्था अलग होती है, इसलिए अपनी स्थिति के अनुसार निर्णय लें। क्या आप इस बारे में और जानकारी चाहेंगी?
पीरियड्स के दौरान भी कर सकते हैं, जन्माष्टमी पूजा?
हर महीने कुछ खास दिन होते हैं जब महिलाएं भगवान की पूजा नहीं कर सकती हैं। अगर किसी महिला को जन्माष्टमी के दिन मासिक धर्म होता है, तो उसे कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। यदि आप जन्माष्टमी का व्रत करने की ठान चुकी हैं तो उपवास जरूर करें लेकिन भगवान और उनसे जुड़े किसी भी सामान को स्पर्श करने से बचें।
अगर किसी महिला को जन्माष्टमी के दिन मासिक धर्म में दर्द होता है, तो उसे सुबह स्नान करके मानसिक रूप से व्रत रखने का निश्चय करना चाहिए। वह शारीरिक रूप से पूजा नहीं कर सकती, लेकिन दूर से मंत्र जाप और आरती कर सकती है।
जन्माष्टमी पर मासिक धर्म करने वाली महिलाएं बाल गोपाल का श्रृंगार नहीं करें। आप चाहें तो अपने मासिक पूजा के बाद भगवान कृष्ण को कुछ उपहार देने का निश्चय करें। उन्हें फिर से पूरी तरह से भाग लेने की क्षमता प्राप्त होने पर ही यह भक्ति का कार्य संपन्न हो सकता है।
कृष्ण जन्माथन का महत्वपूर्ण स्थान मथुरा है क्योंकि यहीं भगवान श्री कृष्ण ने अपने पिता वासुदेव और उनकी मां देवकी को जेल से छुड़ाया था।
कृष्ण का जन्म किस दिन हुआ था?
भगवान कृष्ण का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था. यह तिथि आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आती है.ऐतिहासिक और पौराणिक स्रोतों के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म 3228 ईसा पूर्व में हुआ माना जाता है.