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Indira Ekadashi: इंदिरा एकादशी क्या होती है, व्रत का महत्व, कथा, आरती, व्रत की विधि,खास सावधानियां, इसका लाभ,और विज्ञान क्या कहता है.

इंदिरा एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत और धार्मिक पर्व है जो हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। यह व्रत हर साल पितृ पक्ष के दौरान आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत का उद्देश्य पितरों को मोक्ष दिलाना और उनके उद्धार के लिए प्रार्थना करना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पितरों के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में हम इंदिरा एकादशी की पूरी जानकारी, इसके महत्व, व्रत की विधि, कथा और इसके लाभों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।



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इंदिरा एकादशी का महत्व


इंदिरा एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि यह व्रत हमारे पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति प्रदान करने का एक प्रमुख साधन माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान मनाए जाने वाले इस व्रत से हमारे पूर्वजों को स्वर्ग प्राप्ति और उनके पापों के क्षय का मार्ग प्रशस्त होता है।

भगवान विष्णु, जो जगत के पालनहार माने जाते हैं, इस व्रत के पूजनीय देवता हैं। वे इस दिन अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और उनके पितरों को स्वर्ग का मार्ग दिखाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। इसलिए यह व्रत उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो अपने पितरों के उद्धार के साथ-साथ स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।

इंदिरा एकादशी व्रत की कथा


प्राचीन काल में एक महान राजा इंद्रसेन नाम से प्रसिद्ध था। वह महिष्मती नगरी का शासक था और एक धर्मपरायण एवं न्यायप्रिय राजा था। एक दिन जब राजा इंद्रसेन अपने राजमहल में बैठा था, तो वहां नारद मुनि आए। राजा ने उनका आदरपूर्वक स्वागत किया और उनके आगमन का कारण पूछा।

नारद मुनि ने बताया, "हे राजन, आपके पितृ, महाराज सुमति यमराज के दरबार में हैं। उन्होंने एकत्रित पुण्य के बावजूद, अपने कुछ पाप कर्मों के कारण स्वर्ग की प्राप्ति नहीं की है। वह आपसे बहुत प्रसन्न हैं और उन्होंने मुझे यह संदेश दिया है कि यदि आप इंदिरा एकादशी का व्रत करते हैं, तो वे अपने पापों से मुक्त हो जाएंगे और स्वर्ग प्राप्त करेंगे।"

नारद मुनि ने राजा को इस व्रत की विधि बताई और व्रत करने का आग्रह किया। राजा इंद्रसेन ने श्रद्धापूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया। व्रत के पुण्य के प्रभाव से उनके पितृ को स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इसके साथ ही राजा इंद्रसेन को भी अपने जीवन में अपार समृद्धि, शांति, और स्वर्ग की प्राप्ति का आशीर्वाद मिला। इस प्रकार, यह कथा यह बताती है कि इंदिरा एकादशी व्रत करने से न केवल पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है, बल्कि व्रती को भी कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

इंदिरा एकादशी आरती


भगवान विष्णु की आरती इंदिरा एकादशी व्रत के दौरान विशेष रूप से की जाती है। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाने से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। यहाँ इंदिरा एकादशी की आरती प्रस्तुत है:

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश हरे॥


जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
स्वामी दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, सुख सम्पत्ति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
स्वामी तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, मैं सेवक तेरा॥
ॐ जय जगदीश हरे॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

दीना नाथ दिखाओ, करुणा का कोई काज।
स्वामी करुणा का कोई काज।
द्वार खड़ा मैं दास, द्वार खड़ा मैं दास,
सुनो मेरी आवाज॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

विष्णु जी की आरती, जो कोई गाता।
स्वामी जो कोई गाता।
सात जन्म के पाप, सात जन्म के पाप,
निकट नहीं आता॥ ॐ जय जगदीश हरे॥

आरती समाप्ति के बाद 'श्री हरि विष्णु' के जयकारे लगाएं:

"श्री हरि विष्णु की जय!
पारब्रह्म परमेश्वर की जय!"

यह आरती पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इंदिरा एकादशी के व्रत में इस आरती का विशेष महत्व है, और इसे करने से भगवान विष्णु के आशीर्वाद के साथ-साथ पितरों की आत्मा की शांति भी प्राप्त होती है।

इंदिरा एकादशी व्रत विधि


इंदिरा एकादशी व्रत का पालन करते समय निम्नलिखित विधियों का पालन करना आवश्यक होता है:

1. व्रत की पूर्व संध्या: व्रत के एक दिन पहले अर्थात् दशमी तिथि को सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, और मांसाहार से परहेज करें।


2. प्रातःकाल की तैयारी: एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का ध्यान करें। संकल्प लें कि आप दिनभर व्रत करेंगे और भगवान विष्णु की पूजा करेंगे।


3. पूजा सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। पूजा के दौरान तुलसी दल, फल, फूल, धूप, दीप, कपूर, चंदन, गंगा जल, नारियल, मिठाई, और पंचामृत का उपयोग करें।


4. व्रत की पूजा विधि: भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, चंदन, अक्षत, फल-फूल, धूप, दीप, और तुलसी दल अर्पित करें। विष्णु सहस्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।


5. रात्रि जागरण: एकादशी की रात को जागरण करना और भगवान विष्णु के भजनों का कीर्तन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इससे व्रत की संपूर्णता बढ़ती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।


6. द्वादशी तिथि को पारण: एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करें। पारण करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। स्वयं भी सात्विक भोजन ग्रहण करें।



व्रत के नियम और सावधानियां


व्रत के दौरान तामसिक भोजन, मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन न करें।

व्रत का पालन करते समय क्रोध, लोभ, अहंकार, और झूठ से दूर रहें।

व्रत के दिन भगवान विष्णु का स्मरण और भजन-कीर्तन करें।

यदि आप पूरे दिन निराहार व्रत नहीं रख सकते, तो फलाहार कर सकते हैं।


इंदिरा एकादशी व्रत के लाभ


1. पितरों को मोक्ष: इंदिरा एकादशी व्रत करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और वे स्वर्ग लोक में पहुंचते हैं।


2. पापों का नाश: इस व्रत के प्रभाव से व्रती के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।


3. आध्यात्मिक उन्नति: इंदिरा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।


4. भगवान विष्णु की कृपा: जो भक्त इंदिरा एकादशी व्रत करते हैं, उन पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है।



इंदिरा एकादशी व्रत की प्रमुख बातें


1. यह व्रत पितृ पक्ष के दौरान आता है, जो पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है।

2. इसे मोक्ष प्राप्ति का एक सरल और सशक्त उपाय माना जाता है।

3. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे हृदय से करता है, उसे मृत्यु के पश्चात वैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है।


इंदिरा एकादशी और अन्य एकादशियों में अंतर


वर्षभर में कुल 24 एकादशियाँ आती हैं, लेकिन इंदिरा एकादशी का महत्व इसलिए विशेष है क्योंकि यह पितृ पक्ष के दौरान आती है और इसे विशेष रूप से पितरों की मुक्ति के लिए मनाया जाता है। अन्य एकादशियाँ भगवान विष्णु की पूजा और अपने स्वयं के पापों के निवारण के लिए होती हैं, जबकि इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों के उद्धार के उद्देश्य से रखा जाता है।

विज्ञान और इंदिरा एकादशी व्रत


विज्ञान की दृष्टि से भी उपवास करने के कई फायदे होते हैं। उपवास के दौरान शरीर को एक प्रकार की सफाई मिलती है, जिससे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इंदिरा एकादशी व्रत के दौरान फलाहार या निराहार रहने से शरीर में टॉक्सिन्स (विषाक्त पदार्थ) बाहर निकलते हैं, जिससे शरीर स्वस्थ रहता है। इसके साथ ही, व्रत रखने से मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।

निष्कर्ष


इंदिरा एकादशी व्रत एक महान धार्मिक पर्व है, जो पितरों की मुक्ति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। अगर हम इसे सच्चे मन से और विधिपूर्वक करते हैं, तो निस्संदेह हमें भगवान विष्णु की कृपा, पितरों की मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

FAQs

इंदिरा एकादशी पर कौन से देवता की पूजा की जाती है?

इंदिरा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही, इस दिन पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का भी विशेष महत्व होता है।

क्या इंदिरा एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते का सेवन करना चाहिए?

हां, इंदिरा एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते का सेवन और भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी अर्पित करना शुभ माना जाता है।

इंदिरा एकादशी के दिन क्या दान करना चाहिए?

इंदिरा एकादशी के दिन भोजन, वस्त्र, अनाज, धन, और जरूरतमंदों को दान करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और व्रतधारी को पुण्य प्राप्त होता है।

क्या इंदिरा एकादशी का व्रत सभी लोग कर सकते हैं?

हां, इंदिरा एकादशी का व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है। विशेष रूप से वे लोग जो अपने पितरों के उद्धार और मोक्ष के लिए प्रार्थना करना चाहते हैं, इस व्रत को करते हैं।

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