रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि पूर्व वाईएसआरसीपी सरकार के समय में प्रतिष्ठित तिरुपति मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त घी में पशु वसा के अंश मिले थे, जिसमें गोमांस और मछली का तेल भी शामिल था।
तिरुपति प्रसादम, जिसे विश्वभर में लड्डू के रूप में जाना जाता है, के संबंध में आई एक रिपोर्ट ने विवाद उत्पन्न कर दिया है। कल प्रकाशित रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि प्रसादम के निर्माण में प्रयुक्त घी में गोमांस की चर्बी और मछली का तेल शामिल किया गया है। इस प्रयोगशाला रिपोर्ट ने राजनीतिक हलचल को जन्म दिया है। उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने वाईएसआरसीपी सरकार पर आरोप लगाया था कि पवित्र लड्डू बनाने में जानवरों की चर्बी का उपयोग किया जा रहा है। अब इस मामले में तिरुपति मंदिर को घी प्रदान करने वाली कंपनी का उत्तर सामने आया है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने मंदिर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी प्रदान नहीं की है। फिर भी, घी की गुणवत्ता की जांच के लिए एक चार सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया गया है। लैब रिपोर्ट 17 जुलाई को प्राप्त हुई थी। तब से यह रिपोर्ट सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। रिपोर्ट में न तो जारी करने वाली संस्था का नाम है और न ही किस स्थान के नमूनों की जांच की गई है, इसका उल्लेख किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने इस मामले में जगन मोहन रेड्डी, ठेकेदार और टीटीडी के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि इन्होंने प्रसादम में जानवरों की चर्बी वाला घी मिलाकर लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। उन्होंने मांग की है कि इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और कठोर कार्रवाई की जाए। वहीं, केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है।
रेड्डी ने बताया, "प्रयोगशाला की रिपोर्ट यह पुष्टि करती है कि तिरुमाला के लिए जो घी तैयार किया गया, उसमें गोमांस की चर्बी, पशु वसा और मछली के तेल का उपयोग किया गया था, और इसका एस मान केवल 19.7 है।"
बीफ टैलो क्या है?
बीफ टैलो गोमांस के वसायुक्त ऊतकों को निकालकर, उबालकर और साफ करके तैयार किया जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर उच्च तापमान पर खाना पकाने के लिए किया जाता है, जैसे कि डीप फ्राई करना और भूनना। इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग साबुन और मोमबत्तियों के निर्माण में तथा कच्चे लोहे के बर्तनों को पकाने में भी किया जाता है। गोमांस वसा मुख्यतः संतृप्त वसा से बना होता है, जो कि मक्खन और नारियल तेल जैसे अन्य ठोस खाना पकाने वाले वसा के समान होता है, और यह कमरे के तापमान पर नरम मक्खन की बनावट के समान होता है। इसके विपरीत, जैतून का तेल, मूंगफली का तेल और कैनोला तेल जैसे तरल वसा मुख्यतः असंतृप्त वसा होते हैं।
लार्ड क्या है?
पारंपरिक रूप से बेकिंग में लार्ड का उपयोग अनिवार्य था, लेकिन वर्तमान में अधिकांश रसोई में इसकी जगह वनस्पति तेल ने ले ली है। लार्ड एक अर्ध-ठोस सफेद वसा उत्पाद है, जो सूअर के वसायुक्त ऊतकों को पिघलाकर प्राप्त किया जाता है।
तिरुपति में यह लड्डू कौन बनाता है?
भगवान वेंकटेश्वर के तिरुपति मंदिर की देखरेख और सभी प्रशासनिक कार्य तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम प्रशासन (TTD) द्वारा किए जाते हैं। मंदिर परिसर में स्थित 300 वर्ष पुराना रसोईघर 'पोटू' में तिरुपति लड्डू TTD ट्रस्ट द्वारा तैयार किया जाता है। इस मंदिर का यह पवित्र प्रसाद 200 ब्राह्मणों द्वारा अत्यंत श्रद्धा और पवित्रता के साथ बनाया जाता है।
FAQs
क्या तिरुपति लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है?
इस विवाद के दौरान कई आरोप लगाए गए कि तिरुपति लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् (TTD) ने इन आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि लड्डुओं में केवल शुद्ध घी का ही इस्तेमाल किया जाता है। कई स्वतंत्र प्रयोगशालाओं ने भी तिरुपति लड्डुओं का परीक्षण किया और उनके परिणामों में जानवरों की चर्बी का कोई पता नहीं चला।
इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
विवाद की शुरुआत तब हुई जब गुजरात की एक प्रयोगशाला ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि तिरुपति लड्डुओं में बीफ टेलो और लार्ड जैसी जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है। यह रिपोर्ट सामने आते ही भक्तों के बीच हड़कंप मच गया और उन्होंने मंदिर प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा।
इस विवाद का राजनीतिक रंग क्यों दिया गया?
यह विवाद स्थानीय राजनीति में भी उलझ गया। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने एक-दूसरे पर आरोप लगाए। TDP ने आरोप लगाया कि YSRCP ने जानबूझकर इस विवाद को खड़ा किया है ताकि मंदिर की छवि खराब की जा सके। वहीं YSRCP ने दावा किया कि मंदिर प्रशासन सच्चाई को छिपाने की कोशिश कर रहा है।
इस विवाद का जनता पर क्या प्रभाव पड़ा?
यह विवाद जनता के बीच काफी चर्चा का विषय बन गया। कई भक्तों ने इस विवाद से आहत होने का दावा किया और मंदिर प्रशासन से अधिक पारदर्शिता की मांग की। कुछ भक्तों ने तो लड्डुओं का सेवन करना भी बंद कर दिया।