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धनतेरस, छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली पर किस तेल या घी के कितने दीपक जलाना चाहिए?

परिचय



धनतेरस, छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली भारतीय संस्कृति के प्रमुख त्योहारों में से हैं। इन पर्वों पर दीप जलाने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह न केवल अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है, बल्कि देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसन्न करने का भी एक पारंपरिक तरीका है। सही प्रकार और संख्या में दीपक जलाने से जीवन में संपन्नता, सुख-शांति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आइए जानें, इन विशेष दिनों पर किस प्रकार के तेल और घी के दीपक जलाने चाहिए और इसका महत्व क्या है।


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धनतेरस पर दीप जलाने के नियम और महत्व


धनतेरस कब मनाई जाती है?

धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन धन और आरोग्य के देवता धन्वंतरि की पूजा की जाती है और दीप जलाने से घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है।


किस तेल या घी का दीपक जलाएं?

  • सरसों का तेल: घर में धन की वृद्धि के लिए उत्तम। यह नकारात्मकता को दूर कर वातावरण को शुद्ध करता है।
  • तिल का तेल: पितृ दोष या अन्य नकारात्मक प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए उपयोगी।


कितने दीप जलाने चाहिए?

  • मुख्य द्वार पर 13 दीपक: यह संख्या अशुभता और बाधाओं को समाप्त करने का प्रतीक मानी जाती है।
  • घर के कोनों और पूजा स्थान पर छोटे दीपक: घर के हर कोने में दीप रखने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।



छोटी दिवाली (नरक चतुर्दशी) पर दीप जलाने का महत्व


छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है?

छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध करने की स्मृति में मनाई जाती है। इस दिन दीप जलाने से नरक भय और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।


किस प्रकार के तेल या घी का उपयोग करें?

  • सरसों का तेल: बुरी शक्तियों और नकारात्मकता से बचाव के लिए प्रभावी।
  • घी के दीपक: घर में सुख-शांति और आरोग्यता के लिए। परिवार के सदस्य निरोगी रहते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

कितने दीप जलाने चाहिए?

  • मुख्य द्वार और तुलसी के पास 4 दीपक: चार दिशाओं में दीप जलाने से सुरक्षा मिलती है और ऊर्जा संतुलित रहती है।
  • पूरी रात जलने वाला 1 बड़ा दीपक: इसे जलाकर रखना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह अंधकार के नाश और ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है।



बड़ी दिवाली (लक्ष्मी पूजा) पर दीप जलाने के नियम


लक्ष्मी पूजा के दौरान दीपक का महत्व

बड़ी दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व है। दीप जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और परिवार में धन-धान्य की वृद्धि होती है।


किस तेल या घी का उपयोग करना शुभ होता है?

  • शुद्ध घी के दीपक: यह सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक है। घी का दीपक जलाने से घर में पवित्रता और सकारात्मकता बढ़ती है।
  • तिल या सरसों के तेल के दीपक: दुष्ट शक्तियों से रक्षा और नकारात्मक ऊर्जा के नाश के लिए।


कितने दीपक जलाने चाहिए?

  • 11, 21 या 51 दीपक: देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए यह संख्या शुभ मानी जाती है।
  • घर के हर कोने में 1 दीपक: इससे घर के सभी अंधेरे हिस्सों में रोशनी फैलती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  • अखंड दीपक जलाने का महत्व: लक्ष्मी पूजन के दौरान एक ऐसा दीपक जलाना चाहिए, जो पूरी रात जलता रहे। यह दीपक लगातार समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक होता है।



दीपों को कहां और कैसे रखें? (Vastu Tips)

  • मुख्य द्वार: द्वार पर दीपक रखने से शुभ ऊर्जा घर में प्रवेश करती है और लक्ष्मीजी का वास होता है।
  • तुलसी के पास: तुलसी के पास दीप जलाने से आध्यात्मिक शांति मिलती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • पूजा स्थल: पूजा के समय जलाए गए दीपक से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
  • घर के कोने: घर के अंधेरे कोनों में दीपक रखने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में शांति और सुख का वातावरण बनता है।



ध्यान देने योग्य बातें 

  • घी और तेल का मिश्रण: कभी-कभी घी और तेल के मिश्रित दीपक जलाने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
  • बुझा हुआ दीपक फिर से न जलाएं: इसे अशुभ माना जाता है और यह ऊर्जा के रुकावट का संकेत देता है।
  • दीपक को जलाने के बाद छोड़ें नहीं: इसे अनदेखा न करें, क्योंकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है।



निष्कर्ष

धनतेरस, छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली पर विधिपूर्वक दीप जलाना केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता लाने का एक तरीका भी है। सही तेल और घी का दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और नकारात्मकता दूर होती है।


इन त्योहारों के दौरान हर घर में दीपों की ज्योति से उत्सव की खुशियां कई गुना बढ़ जाती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सही स्थान और संख्या में दीप जलाना वास्तु के अनुसार भी महत्वपूर्ण है, जिससे हर दिशा से शुभता का प्रवेश होता है।



यह post पाठकों को धनतेरस, छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली पर सही प्रकार और संख्या में दीपक जलाने के महत्व को समझने में मदद करेगा। दीपों की रोशनी से न केवल घर में खुशहाली और समृद्धि आती है, बल्कि यह हमारे जीवन को भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का माध्यम बनती है।

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