परिचय
हाल ही में भारत ने 41 कनाडाई राजनयिकों को 10 अक्टूबर, 2024 तक देश छोड़ने का आदेश दिया। यह कदम भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव का हिस्सा है, जो खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद गहराया। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया कि उसकी एजेंसियां इस हत्या में शामिल थीं, जिसे भारत ने सख्ती से खारिज किया। इस घटनाक्रम का असर न केवल दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों पर, बल्कि प्रवासी समुदाय, छात्रों और व्यापारिक गतिविधियों पर भी पड़ा है।
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विवाद की प्रमुख वजहें
कनाडा के आरोप
कनाडा ने दावा किया है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों की भूमिका हो सकती है। निज्जर को जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में मारा गया था। कनाडा ने आरोप लगाया कि वह भारत समर्थित एजेंटों का निशाना बने।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इन आरोपों को "बेतुका" और "मोटिवेटेड" बताया, और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए कनाडाई राजनयिकों की संख्या में कटौती की मांग की। यह कदम कनाडा द्वारा एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित करने के जवाब में भी था।
राजनयिक निष्कासन और उसका विवरण
भारत ने कनाडा से मांग की है कि वह अपने 62 में से 41 राजनयिकों को वापस बुलाए। इस कदम के बाद कनाडा ने चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में स्थित वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम कूटनीतिक समानता के सिद्धांतों के अनुसार लिया गया है।
विवाद का भारतीय और प्रवासी समुदाय पर प्रभाव
इस विवाद का प्रत्यक्ष प्रभाव भारतीय प्रवासी और छात्रों पर देखा जा रहा है। कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या लगभग 3 लाख है, जो अब वीजा सेवाओं के प्रभावित होने से परेशान हैं। व्यापारिक गतिविधियों में भी गिरावट की आशंका है, जिससे पर्यटन और द्विपक्षीय निवेश प्रभावित हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और प्रभाव
इस विवाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान खींचा है। अमेरिका और Five Eyes नेटवर्क (जिसमें कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं) ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। हालांकि, अन्य देशों ने अभी तक प्रत्यक्ष हस्तक्षेप से बचने का प्रयास किया है।
भारत और कनाडा के संबंधों का भविष्य
राजनयिक विवाद से दोनों देशों के व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि द्विपक्षीय वार्ता ही इस विवाद को हल कर सकती है। दोनों देशों को अब समझौतों पर फिर से विचार करना होगा ताकि भविष्य में व्यापार और निवेश को स्थिरता मिल सके।
निष्कर्ष
इस विवाद ने दोनों देशों के बीच विदेश नीति और कूटनीति के महत्व को रेखांकित किया है। स्थिरता और संवाद बनाए रखना ही भविष्य में बेहतर संबंधों की कुंजी है। भारत और कनाडा को मिलकर ऐसे कदम उठाने की जरूरत है, जो न केवल कूटनीतिक तनाव को कम करें, बल्कि व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करें।
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