प्रस्तावना
नवरात्रि भारत का एक पवित्र और अत्यधिक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देशभर में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है—चैत्र और शारदीय नवरात्रि। सर्द नवरात्रि के दौरान, माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से प्रत्येक देवी के एक विशेष रूप को दर्शाता है। इन नौ दिनों में हर दिन एक अलग देवी की पूजा की जाती है, जो भक्तों को अपने जीवन में शक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त करने में सहायता करती हैं। सर्द नवरात्रि का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का दिन होता है।
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Navratri day 5 maa Skandamata |
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माँ स्कंदमाता का स्वरूप देवी दुर्गा के पाँचवे रूप को दर्शाता है, जो अपने पुत्र स्कंद (भगवान कार्तिकेय) की माता के रूप में जानी जाती हैं। इस लेख में, हम माँ स्कंदमाता की विशेषताओं, उनकी पूजा की विधि, और इस दिन को मनाने के विशेष तरीकों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, हम यह जानेंगे कि माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्तों को कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं।
माँ स्कंदमाता कौन हैं?
माँ स्कंदमाता, माँ दुर्गा के पाँचवें रूप के रूप में पूजी जाती हैं। "स्कंद" भगवान कार्तिकेय का एक अन्य नाम है, जिन्हें युद्ध और शक्ति का देवता माना जाता है। माँ स्कंदमाता अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए हुए सिंह पर सवार होती हैं। वह चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वह स्कंद को पकड़े हुए हैं और अन्य दो भुजाओं में कमल का फूल धारण किए हुए हैं। उनकी मुद्रा अत्यंत शांत, ममतामयी और दयालु होती है, जो भक्तों को असीम करुणा और सुरक्षा का अनुभव कराती है।
पौराणिक कथाओं में माँ स्कंदमाता का महत्व असीम है। भगवान कार्तिकेय को शत्रु विनाशक के रूप में जाना जाता है, और माँ स्कंदमाता उनकी पालनहार देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनका यह स्वरूप हमें मातृत्व, शक्ति और समर्पण का प्रतीक सिखाता है। माँ स्कंदमाता की उपासना से भक्तों को मानसिक शांति और भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। उनके भक्तों का विश्वास है कि माँ स्कंदमाता की कृपा से सभी बुराइयों का नाश होता है और जीवन में सद्भाव और समृद्धि आती है।
माँ स्कंदमाता की शक्तियां और गुण
माँ स्कंदमाता की शक्तियां असीम हैं। उन्हें सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। उनकी पूजा से भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ स्कंदमाता का ममतामयी और स्नेहमयी स्वरूप भक्तों को दुष्ट प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है।
उनकी उपासना से दैवीय कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों के जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आती है। माँ स्कंदमाता की कृपा से जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है और उनकी कृपा से वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। माँ स्कंदमाता की उपासना करने से व्यक्ति का मन शांत और संतुलित रहता है, जिससे उसे हर प्रकार के मानसिक और भौतिक तनाव से मुक्ति मिलती है।
माँ स्कंदमाता का यह ममतामयी रूप हमें सिखाता है कि अपने प्रियजनों की रक्षा और उनका मार्गदर्शन कैसे करना चाहिए। उनकी करुणा और दया के गुणों के कारण वे भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं, जिससे उनके जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि और शांति प्राप्त होती है।
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि
माँ स्कंदमाता की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली होती है। उनकी पूजा का सही समय सूर्योदय से पहले का होता है, जब वातावरण में शांति और पवित्रता बनी रहती है।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री में पुष्प, धूप, नारियल, फल, दीपक और विशेष रूप से पीले वस्त्र शामिल होते हैं। पीला रंग माँ स्कंदमाता को विशेष रूप से प्रिय होता है, इसलिए पूजा के दौरान पीले फूल और वस्त्रों का उपयोग किया जाता है।
पूजा के दौरान "ॐ देवी स्कंदमातायै नमः" मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र का नियमित जाप भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है। माँ स्कंदमाता की पूजा से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करना और भोग अर्पित करना भी पूजा का अभिन्न हिस्सा होता है।
माँ स्कंदमाता की पूजा में ध्यान, मंत्र जाप और सच्ची भक्ति का विशेष महत्व होता है। पूजा के दौरान भक्तों को अपने मन को शांत और केंद्रित रखना चाहिए ताकि माँ की कृपा प्राप्त हो सके।
माँ स्कंदमाता के प्रिय रंग और प्रतीक
माँ स्कंदमाता को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है। पीला रंग सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करने और पीले फूल अर्पित करने से माँ स्कंदमाता की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
उनकी पूजा में कमल का फूल और अन्य शुभ प्रतीक भी शामिल होते हैं। कमल पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक होता है, जो माँ स्कंदमाता के आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। पूजा के दौरान इन प्रतीकों का उपयोग करने से देवी का आशीर्वाद भक्तों पर अधिक प्रभावी रूप से प्राप्त होता है।
नवरात्रि के पांचवे दिन की खास तैयारियां
नवरात्रि के पांचवे दिन भक्त विशेष रूप से माँ स्कंदमाता की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। व्रत रखने से भक्तों को आध्यात्मिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं।
इस दिन भक्त अपने घरों की सजावट करते हैं, जिसमें माँ स्कंदमाता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना की जाती है। घर को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए रंगोली और दीपों का प्रयोग भी किया जाता है। पूजा के बाद विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जैसे कि हलवा, चने और पूड़ी। यह प्रसाद भक्तों में बाँटा जाता है और इसे माँ स्कंदमाता को अर्पित किया जाता है।
लोककथाओं और परंपराओं के अनुसार, इस दिन का विशेष महत्व होता है। माँ स्कंदमाता की कृपा से भक्तों के जीवन में समृद्धि और शांति आती है, और वे दुष्ट शक्तियों से मुक्त होते हैं।
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नवरात्रि व्रत और माँ स्कंदमाता की कृपा
माँ स्कंदमाता की कृपा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि के पांचवे दिन उपवास का विशेष महत्व है। उपवास रखने से न केवल शारीरिक शुद्धि होती है, बल्कि भक्तों का मन भी पवित्र और शांति से भर जाता है।
माँ स्कंदमाता की कृपा से जीवन में नए अवसरों और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। उपवास के दौरान, भक्त ध्यान और मंत्र जाप के माध्यम से माँ स्कंदमाता के प्रति अपनी भक्ति को प्रकट करते हैं।
नवरात्रि के दौरान उपवास रखने से आत्म-नियंत्रण और आत्मशुद्धि का विकास होता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करने में सहायक होता है। माँ स्कंदमाता की पूजा और उपवास से भक्तों को उनके जीवन में सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है और सुख-शांति प्राप्त होती है।
समापन
माँ स्कंदमाता की पूजा सर्द नवरात्रि के पांचवे दिन का विशेष महत्व रखती है। उनकी उपासना से भक्तों को न केवल मानसिक शांति और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं, बल्कि उनका जीवन भी आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है। माँ स्कंदमाता की कृपा से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है।
उनकी उपासना से भक्तों को आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। माँ स्कंदमाता की पूजा नवरात्रि के इस पवित्र पर्व का प्रमुख हिस्सा है, जो भक्तों को आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन प्रदान करती है।