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Bhai dooj: दिवाली के बाद भाई दूज क्यों मनाई जाती है और भारत में कहाँ-कहाँ इसे मनाया जाता है?

भारत में भाई दूज कहाँ-कहाँ मनाया जाता है?



भारत में भाई दूज का पर्व विशेष महत्व रखता है, और इसे दिवाली के ठीक दो दिन बाद मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई दूज, जिसे कई जगहों पर "भैया दूज" या "भाऊबीज" के नाम से भी जाना जाता है, मुख्य रूप से उत्तर भारत, महाराष्ट्र, और पश्चिम भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।


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दिवाली के बाद भाई दूज क्यों मनाई जाती है? 

भाई दूज दिवाली के बाद इसलिए मनाई जाती है क्योंकि यह यमराज और यमुनाजी की कथा से जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार, यमुनाजी ने अपने भाई यमराज को घर बुलाकर तिलक किया और उनका स्वागत किया था। इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया गया और यह परंपरा चल पड़ी। माना जाता है कि इस दिन तिलक करने से भाई की उम्र लंबी होती है और वह यमराज के भय से मुक्त होता है।



क्या भाई दूज विवाहित लड़कियों के लिए है? 


हाँ, भाई दूज विवाहित लड़कियों के लिए भी है। यह पर्व सभी बहनों, चाहे वे विवाहित हों या अविवाहित, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। भाई दूज पर विवाहित बहनें भी अपने भाइयों को तिलक करती हैं, उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। यह त्योहार उन्हें अपने मायके जाने, अपने भाई और परिवार के साथ समय बिताने का एक विशेष अवसर प्रदान करता है। विवाहित बहनें इस दिन अपने ससुराल से मायके आकर अपने भाइयों को तिलक लगाकर अपने रिश्ते की गहराई को और मजबूत बनाती हैं।


इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को बनाए रखना और परिवार में आपसी प्रेम एवं अपनापन बढ़ाना है।



दक्षिण भारत में भाई दूज क्यों नहीं मनाई जाती?


हालाँकि भाई दूज उत्तर भारत और पश्चिम भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है, दक्षिण भारत में इस पर्व की परंपरा नहीं है। दक्षिण भारत में रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के रिश्ते का कोई विशेष त्योहार नहीं होता। वहाँ दीवाली का स्वरूप थोड़ा भिन्न होता है और "यम द्वितीया" जैसी परंपरा की महत्ता कम है। वहाँ के लोगों के लिए मुख्य रूप से "कात्यायनी पूजा" या अन्य रीति-रिवाज प्रमुख होते हैं।



भाई दूज और रक्षाबंधन में अंतर 


भाई दूज और रक्षाबंधन दोनों ही भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित करने के लिए मनाए जाते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर है। रक्षाबंधन श्रावण मास में मनाया जाता है जबकि भाई दूज दिवाली के दो दिन बाद, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है। रक्षाबंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जबकि भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। रक्षाबंधन में भाई की सुरक्षा का वचन लिया जाता है, जबकि भाई दूज पर बहनें भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।



भाई दूज का उद्देश्य क्या है? 

भाई दूज का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह को सुदृढ़ करना है। इस पर्व में बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि, और सुरक्षा की कामना करती हैं। भाई दूज का त्योहार यमराज और यमुनाजी की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें यमुनाजी ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाकर तिलक किया और उनकी सुख-समृद्धि की कामना की। इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, भाई दूज का पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और उनके बीच के अटूट प्रेम को दर्शाता है।


यह पर्व भाई-बहन के बीच के रिश्ते को यादगार बनाने और उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण का अहसास कराने के उद्देश्य से मनाया जाता है। साथ ही, भाई दूज एक ऐसा अवसर है, जो परिवार के सदस्यों के बीच एकजुटता और अपनापन बनाए रखने में सहायक होता है।



भाई दूज की शुभकामनाएं


भाई दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों को शुभकामनाएं देती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करते हैं। इस दिन की शुभकामनाएं निम्नलिखित हैं:


1. "आपकी खुशियों का हर पल आपके जीवन में रोशनी लाए। भाई दूज की ढेर सारी शुभकामनाएं।"



2. "भगवान आपको हमेशा स्वस्थ और सुरक्षित रखे। भाई दूज की शुभकामनाएं।"



3. "भाई दूज के इस पावन अवसर पर, आपके जीवन में खुशियाँ हमेशा बरकरार रहें।"



भाई दूज का महत्त्व और पूजा विधि 

भाई दूज का महत्त्व भाई-बहन के रिश्ते को सशक्त करने में है। इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं, मिठाई खिलाती हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करती हैं। पूजा विधि के अंतर्गत, भाई को तिलक लगाने के बाद उसके सामने चौमुखी दीपक जलाकर यमराज से उसकी सुरक्षा और दीर्घायु की प्रार्थना की जाती है। यह पर्व भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है और इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।



अन्य देशों में भाई दूज

भाई दूज का पर्व न केवल भारत में बल्कि नेपाल में भी "भाई टीका" के रूप में मनाया जाता है। नेपाल में भी यह दिवाली के दो दिन बाद ही आता है और यहाँ बहनें भाई को तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।



भाई दूज का आधुनिक स्वरूप 

वर्तमान समय में भाई दूज का त्यौहार अब सिर्फ पारंपरिक पूजा तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसे आधुनिक रूप में भी मनाया जाता है। भाई दूज पर भाई-बहन मिलकर बाहर जाते हैं, खाना खाते हैं, और एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। यह त्योहार केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि परिवार और रिश्तों के महत्व को समझाने का भी एक अवसर बन गया है।



निष्कर्ष

भारत में भाई दूज का पर्व विशेष महत्व रखता है और यह दिवाली के बाद भाई-बहन के रिश्ते को सुदृढ़ करने के लिए मनाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है, और यह भाई और बहन के बीच प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।

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