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Sharda Sinha health update: छाया शोक का लहर अब नहीं रही शारदा सिन्हा, दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा था इलाज

Sharda Sinha health update: बिहार की कोकिला कहे जाने वाली शारदा सिन्हा का 72 वर्ष की आयु में मंगलवार के रात दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। कई दिनों से AIIMS अस्पताल में उपचार चल रहा था। उनकी स्वास्थ्य के लिए देशभर में प्रार्थनाएँ की जा रही थीं, लेकिन वे जिन्दगी की लड़ाई को हार गईं। उन्होंने अपनी अंतिम सांस रात के 09:20 बजे ली।



छठ गीतों की प्रतीक मानी जाने वाली शारदा सिन्हा को सोमवार रात वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था, क्योंकि उनका ऑक्सीजन स्तर गिर रहा था। उनके पुत्र अंशुमन सिन्हा ने एक वीडियो संदेश में बताया कि "मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शन की स्थिति के कारण मां एक बड़ी लड़ाई में हैं। अब स्थिति काफी गंभीर है। आप सभी से प्रार्थना करने की अपील है कि वे इस लड़ाई को जीत सकें। छठी मां की कृपा बनी रहे।


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भारत की जानी-मानी लोकगायिका शारदा सिन्हा, जिन्होंने अपने संगीत से देशभर में अपनी पहचान बनाई, अब हमारे बीच नहीं रहीं। "Sharda Sinha Health Update" के अनुसार, 72 साल की उम्र में उनका दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनकी बीमारी के कारण पिछले कुछ दिनों से वह एम्स में भर्ती थीं। इस दुखद खबर से उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों में गहरा शोक व्याप्त है।



शारदा सिन्हा: लोक संगीत का एक युग 


बिहार की बेटी और भारतीय लोक संगीत का एक अद्वितीय चेहरा, शारदा सिन्हा ने अपने गायन से पूरे देश में अपनी पहचान बनाई थी। छठ पूजा के गीतों में उनकी आवाज़ ने हर वर्ष भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अलग ही रंग बिखेरा। शारदा सिन्हा के गाए गीतों में बिहार की मिट्टी की खुशबू और त्योहारों का जोश झलकता था। उनके गीत सिर्फ मनोरंजन के साधन नहीं थे, बल्कि एक भावपूर्ण अनुभव थे जो पीढ़ियों से लोगों के दिलों में बसी हुई है।


उनकी प्रसिद्धि का आलम यह था कि छठ पूजा हो या कोई और धार्मिक आयोजन, शारदा सिन्हा का नाम और उनकी आवाज़ लोगों के दिलों में बसे हुए थे। "बोल बम," "केलवा के पात पर उग हो सूरज देव," और "पार उतर लहो हे गंगा मैया" जैसे उनके गीत आज भी हर किसी के कानों में गूंजते हैं।


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72 साल की उम्र में शारदा सिन्हा का निधन: एक अपूरणीय क्षति


72 साल के उम्र में हुआ निधन उनके निधन को संगीत और कला जगत में एक बड़ी क्षति माना जा रहा है। शारदा सिन्हा का जीवन केवल एक गायिका का नहीं था, बल्कि एक संपूर्ण कलाकार का था जिन्होंने भारतीय लोकगीतों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी मृत्यु के बाद, पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।


उनका योगदान भारतीय संगीत के लोक पक्ष को लोकप्रियता दिलाने में महत्वपूर्ण रहा है। वह एक ऐसी गायिका थीं जिन्होंने न केवल पारंपरिक संगीत को संजोए रखा, बल्कि उसे नए सिरे से लोगों तक पहुँचाया। अपने गीतों के माध्यम से उन्होंने बिहार की संस्कृति और परंपराओं का प्रचार-प्रसार किया।



दिल्ली के एम्स में चल रहा था इलाज


पिछले कुछ महीनों से, शारदा सिन्हा को स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। उनकी गंभीर स्थिति के कारण, वह अपने प्रशंसकों से मिल भी नहीं पा रही थीं। उनके चाहने वालों ने सोशल मीडिया पर उनके जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना की थी। हालांकि, चिकित्सा के सभी प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और 72 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।



शारदा सिन्हा की विशेषता: लोकगीतों में मधुरता और भारतीयता


शारदा सिन्हा ने अपने पूरे करियर में पारंपरिक लोकगीतों को आधुनिकता के साथ जोड़ा और उनकी आवाज में एक अनोखी मिठास थी जो सीधे दिल तक पहुँचती थी। उनके गीतों में न केवल भावनाएं होती थीं बल्कि एक गहराई भी होती थी, जो किसी भी व्यक्ति को उनकी आवाज़ से जोड़ लेती थी। उनके गायन के मुख्य रूप से छठ पूजा, होली, और विवाह जैसे पारंपरिक भारतीय त्योहारों से जुड़े गीतों ने उन्हें एक अलग पहचान दी।


लोक संगीत को मुख्यधारा में लाने और लोकप्रिय बनाने के लिए शारदा सिन्हा ने जो कार्य किए, वे हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी आवाज में वह अद्वितीयता थी जो न केवल संगीत प्रेमियों बल्कि सामान्य लोगों के दिलों में भी बसती थी।



शारदा सिन्हा का जीवन और योगदान


शारदा सिन्हा का जन्म बिहार में हुआ और वहीं से उन्होंने अपने संगीत का सफर शुरू किया। धीरे-धीरे वह अपने मधुर आवाज और अनोखे शैली के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हो गईं। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी और यह दिखाया कि संगीत किस तरह से संस्कृतियों को जोड़ सकता है।


उनकी प्रसिद्धि और उनके गीतों के प्रति लोगों का प्रेम इस कदर था कि उनकी मृत्यु पर हर कोने से श्रद्धांजलि दी जा रही है। उनके निधन के बाद संगीत और कला जगत में एक अपूरणीय क्षति मानी जा रही है।



निधन के बाद की प्रतिक्रियाएं और शोक 


शारदा सिन्हा के निधन के बाद उनके प्रशंसकों और संगीत प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया है। बिहार से लेकर पूरे देश में उनकी मृत्यु की खबर से शोक की लहर दौड़ गई है। सोशल मीडिया पर उनके फैंस और प्रमुख हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है, और उनके योगदान को याद किया है।


निष्कर्ष: Sharda Sinha Health Update


Sharda Sinha Health Update से मिली इस दुखद सूचना ने सभी के दिलों को झकझोर कर रख दिया है। भारतीय लोक संगीत की यह महान शख्सियत अब हमारे बीच नहीं रही, लेकिन उनके गीत और उनकी मधुर आवाज़ हमेशा हमारे दिलों में गूंजती रहेगी। शारदा सिन्हा ने अपने संगीत से भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया और हमें एक ऐसी धरोहर सौंपी जो पीढ़ियों तक प्रेरणा देती रहेगी।

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