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Sharda Sinha chhath ke geet: अब तक छठ पूजा के लिए कितने गीतों को गा चुकीं हैं, कौन सा गीत रहा ज्यादा प्रसिद्ध


भारत में लोकगीतों की बात करें, तो शारदा सिन्हा का नाम प्रमुखता से सामने आता है, खासकर छठ पूजा के अवसर पर। शारदा सिन्हा chhath ke geet के माध्यम से न केवल इस पर्व को विशिष्टता दी है, बल्कि उन्होंने इसे देश-विदेश में बसे हर व्यक्ति के दिल तक पहुँचाया है। छठ पूजा पर उनके गीतों की गूंज हर गली-मोहल्ले में सुनाई देती है। उनके गीतों की संख्या और लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। इस लेख में हम जानेंगे कि उन्होंने अब तक छठ पर्व के लिए कितने गीत गाए हैं और कौन से गीत सबसे ज्यादा प्रसिद्ध रहे हैं।

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शारदा सिन्हा और छठ पूजा के लोकगीतों का विशेष संबंध

शारदा सिन्हा का नाम भारतीय लोक संगीत में सबसे ऊंचा स्थान रखता है, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश के पारंपरिक गीतों के लिए। छठ पर्व पर उनका योगदान अतुलनीय है, जहां उनके गीतों में छठ पूजा के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाया गया है। शारदा सिन्हा के छठ गीतों में बिहार और उत्तर भारत की मिट्टी की सुगंध, परंपरा, और भक्ति का अनोखा मिश्रण है।



शारदा सिन्हा के 5 प्रसिद्ध छठ गीत

शारदा सिन्हा के छठ गीत वर्षों से छठ पूजा की पहचान बन गए हैं। उनके कई गीत ऐसे हैं जो हर साल श्रद्धालुओं के दिलों में बसी छठ पूजा की भावनाओं को जागृत करते हैं। यहां उनके पांच प्रसिद्ध छठ गीतों का उल्लेख किया गया है, जो लोगों में बेहद लोकप्रिय हैं:


1. "कांच ही बांस के बहंगिया"

यह गीत छठ पूजा के महत्व और परंपराओं को अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करता है। यह गीत शायद उनका सबसे प्रसिद्ध छठ गीत है, जो लोगों के दिलों में बस चुका है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह गीत आज भी हर छठ पूजा पर सुनाई देता है।


2. "पावनि के पल"

"पावनि के पल" एक ऐसा गीत है जो छठ के दौरान की जाने वाली तैयारियों और पूजा की पवित्रता को दर्शाता है। इस गीत में एक भावनात्मक जुड़ाव है, जो हर किसी के दिल को छू जाता है।


3. "हो दिनानाथ"

यह गीत भगवान सूर्य और छठी मैया की स्तुति में गाया गया है, जिसमें आस्था और श्रद्धा का समावेश है। छठ पूजा पर इसे सुनना एक भक्तिमय अनुभव का अहसास कराता है।


4. "पटना के घाट पर"

यह गीत पटना के घाटों पर छठ पूजा के मनोहारी दृश्य को सामने लाता है। इस गीत में घाटों की महिमा और श्रद्धालुओं की भक्ति को चित्रित किया गया है, जो हर साल छठ पूजा पर लोगों का मन मोह लेता है।

 

5. "उग हो सुरुज देव"

यह गीत उगते सूरज की उपासना में गाया गया है और छठी मैया की पूजा का आदान-प्रदान करता है। "उग हो सुरुज देव" हर छठ पूजा में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह भक्तों के लिए आशा और भक्ति का प्रतीक है।



शारदा सिन्हा chhath ke geet की सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्ता

शारदा सिन्हा के छठ गीत केवल गीत नहीं हैं, बल्कि वो भक्तों के लिए आस्था और भक्ति का प्रतीक हैं। उनके गीतों में भारत के ग्रामीण जीवन की छवि, छठ की परंपराओं का सम्मान, और सूर्य भगवान के प्रति श्रद्धा का मिश्रण मिलता है।



शारदा सिन्हा chhath ke geet की लोकप्रियता के पीछे के कारण

शारदा सिन्हा के गीतों की लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण कारण उनका सरल भाषा में गाया जाना और गीतों का दिल को छू लेना है। छठ पर्व के समय, उनके गीतों की धुनें और बोल श्रद्धालुओं के दिलों तक पहुँचते हैं।


1. भावनात्मक जुड़ाव: उनके गीतों में छठ पूजा से जुड़ी भावनाओं को बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जो लोगों के दिलों में सीधा स्थान बना लेते हैं।


2. संगीत में सादगी: उनके गीतों का संगीत साधारण होते हुए भी अत्यधिक प्रभावशाली है, जो किसी भी श्रोता को अपने आप में समेट लेता है।


3. संस्कृति का प्रतिबिंब: उनके गीतों में लोक संस्कृति की झलक मिलती है, जो ग्रामीण जीवन के साथ शहरी लोगों को भी जोड़ता है।

 

4. परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण: उनके गीतों में छठ पूजा की पारंपरिक और आधुनिक धुनों का मिलन है, जो हर वर्ग के लोगों को पसंद आता है।



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शारदा सिन्हा chhath ke geet की उपलब्धियां और योगदान

शारदा सिन्हा ने अपने जीवनकाल में 50 से अधिक छठ गीत गाए हैं। उनके गीतों ने छठ पर्व को भारत के कोने-कोने में पहुँचाया है। "कांच ही बांस के बहंगिया" जैसे उनके गीत ने तो अमरत्व प्राप्त कर लिया है। इन गीतों ने न केवल भारतीय समाज में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है।


  • पुरस्कार: शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें पद्म भूषण शामिल है।
  • संस्कृति का संवर्धन: उन्होंने छठ पर्व को अपनी आवाज़ से एक अलग पहचान दी है और इसे वैश्विक मंच पर स्थापित किया है।



छठ गीतों में बदलाव और शारदा सिन्हा की विरासत

शारदा सिन्हा के गीतों ने छठ पर्व के गीतों के लिए एक मानक स्थापित किया है। समय के साथ संगीत और तकनीक में बदलाव आए हैं, लेकिन उनके गीतों का प्रभाव और लोकप्रियता अभी भी वैसा ही है। छठ गीतों की यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है और उनके गीत आज भी नए गायकों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं।



समावेशन

शारदा सिन्हा chhath ke geet ने छठ पर्व को न केवल एक धार्मिक, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन बना दिया है। उनके गीत आज भी छठ पूजा के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शारदा सिन्हा ने अपनी आवाज से छठ पर्व को उस ऊंचाई पर पहुँचाया है, जहां यह केवल एक पर्व नहीं बल्कि एक आस्था का प्रतीक बन चुका है।

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