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भारत में कुंभ का मेला कहाँ-कहाँ लगता है? यह इतना प्रसिद्धि क्यूँ है, महाकुंभ कितने साल बाद आता है


भारत में कुंभ का मेला कहाँ-कहाँ लगता है?

भारत में कुंभ का मेला कहाँ-कहाँ लगता है? यह सवाल हर भारतीय के मन में उठता है, खासकर जब कुंभ मेला जैसे विशाल धार्मिक आयोजन की बात आती है। कुंभ मेला भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है:


1. प्रयागराज (इलाहाबाद)

प्रयागराज, जहाँ गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियाँ मिलती हैं, यहाँ का कुंभ मेला विश्व प्रसिद्ध है। यह मेला हर बारह वर्षों में आयोजित होता है और इसे महाकुंभ भी कहा जाता है। यहाँ स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

2. हरिद्वार

हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर होने वाला कुंभ मेला भी तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यहाँ कुंभ मेला तब आयोजित होता है जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में होते हैं।

3. उज्जैन

उज्जैन का कुंभ मेला क्षिप्रा नदी के तट पर आयोजित होता है। यहाँ का मेला भी धार्मिक महत्व रखता है और इसे हर बारह वर्षों में मनाया जाता है।

4. नासिक

नासिक में गोदावरी नदी के तट पर होने वाला कुंभ मेला भी महत्वपूर्ण है। यहाँ का मेला तब आयोजित होता है जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं।


यह इतना प्रसिद्धि क्यूँ है?

कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। इसके पीछे कई कारण हैं:


1. पौराणिक मान्यता

कुंभ मेले की पृष्ठभूमि समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। मान्यता के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए इन स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

2. मोक्ष की प्राप्ति

कुंभ मेले में स्नान करने से श्रद्धालुओं को अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह धार्मिक विश्वास लोगों को यहाँ खींच लाता है।

3. विशाल जनसमूह

कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है, जहाँ लाखों लोग एकत्रित होते हैं। इस विशाल जनसमूह का हिस्सा बनना एक अद्वितीय अनुभव होता है।

4. सांस्कृतिक विविधता

कुंभ मेले में विभिन्न राज्यों और संस्कृतियों के लोग शामिल होते हैं, जिससे यह एक सांस्कृतिक संगम बन जाता है। यहाँ विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, नृत्य, संगीत और व्यंजन देखने को मिलते हैं।


महाकुंभ कितने साल बाद आता है?

महाकुंभ हर 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है, जबकि सामान्य कुंभ मेला हर 12 वर्षों बाद होता है। महाकुंभ का आयोजन उन चार स्थानों पर किया जाता है जहाँ अमृत की बूंदें गिरी थीं। 


अगला महाकुंभ कब होगा?

अगला महाकुंभ 2025 में प्रयागराज में आयोजित होगा, जो कि 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। इस दौरान कई शाही स्नान होंगे, जिनमें लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की उम्मीद होती है।


निष्कर्ष

भारत में कुंभ का मेला कहाँ-कहाँ लगता है? इस प्रश्न का उत्तर हमें चार प्रमुख स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक - से मिलता है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसकी प्रसिद्धि का मुख्य कारण पौराणिक मान्यता, मोक्ष की प्राप्ति, विशाल जनसमूह और सांस्कृतिक विविधता हैं। 

महाकुंभ जैसे आयोजनों से जुड़ी मान्यताएँ और परंपराएँ इसे विशेष बनाती हैं। अगर आप भी इस अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो अगली बार जब कुंभ मेला लगे, तो अवश्य जाएँ!

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